अपने जीवन के उद्देश्य को जानना और उसे प्राप्त करने के लिए दृढ़ आत्मविशवास रखना, यही सफलता की ओर पहला कदम है । यह अदम्य विचार कि मै अवश्य सफल होऊंगा और उस पर पूरा विश्वास ही सफलता पाने का मूल मंत्र है । याद रखिए ! विचार संसार की सबसे महान शक्ति है यही कारण है कि सफलता पाने वाले लोग पूर्ण आत्मविशवास रखते हुए अपने कामों को पूरी कुशलता से करते हैं, दुसरो की सफलता के लिए भी वे सदा प्रयत्नशील रहते हैं ।
प्रत्येक विचार, प्रत्येक कर्म का फल अवश्य मिलता है अच्छे का अच्छा और बुरे का बुरा । यही प्रकृति का नियम है । इसमे देर हो सकती है पर अंधेर नही । इसलिए आप सफल होना चाहते हैं तो अच्छे विचार रखिए, सद्कर्म करिए और जरुरतमंदो की नि:स्वार्थ भाव से सहायता तथा सेवा करिए । मार्ग मे आने वाली कठिनाइयों, बाधाओं और दुसरो की कटुआलोचनाओं से अपने मन को अशांत न होने दीजिए।
जब अपनी समस्या न सुलझे
जब अपनी समस्या न सुलझे
जब कोइ अपनी समस्या को हल न कर सके तो उस के लिए सब से अच्छा तरीका एक ऎसे व्यक्ति की खोज करना है जिसके पास उससे भी अधिक समस्याएँ हों , और तब वह उन्हे हल करने मे उस की सहायता करे। आप की समस्या का हल आप को मिल जाएगा । चौकिए मत, इसे आजमाइए।
बीज और फल अलग अलग नही
बीज और फल अलग अलग नही
विश्व प्रसिद्ध विचारक इमर्सन ने ठीक ही कहा है कि - "प्रत्येक कर्म अपने मे एक पुरस्कार है। यदि कर्म भली प्रकार से किया गया होगा और शुभ होगा, तो निश्चय ही उस का फल भी शुभ होगा। इसी प्रकार गलत तरीके से किया गया अशुभ कर्म हानिकारक होगा"। आप इसे पुरातन पंथ नैतिकता कह सकते हैं, जो कि वास्तव मे यह है । लेकिन, साथ- साथ ही, यह आधुनिक नैतिकता भी है। यह उस समय भी प्रभावशाली थी , जब मनुष्य ने पहिए का अविष्कार किया था और भविष्य मे भी प्रभावशाली रहेगी, जब मनुष्य दूसरे ग्रहो पर निवास करने लगेगा । यह नैतिकता से अधिक प्रकृति का क्षतिपूर्ति नियम है, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। वैज्ञानिक दृष्टि से कर्म और फल के रुप मे दर्शाया जा सकता है । जैसे बीज बोएंगे वैसे फल पाएगे।
अंधविश्वास सफलता में सबसे बड़ी बाधक
मनुष्य जीवन भर इस अज्ञानपूर्ण अंधविश्वास से चिंतिंत रहते हैं कि कही उसे कोइ धोखा न दे जाए। उसे यह ज्ञान नही होता कि मनुष्य को स्वयं उस के सिवाए कोइ दूसरा धोखा नही दे सकता, वास्तव मे, वह अपने ही मोह और भय के कारण धोखे मे फंसता है। हम भूल जाते हैं कि एक परमशक्ति भी है जो सदैव हर व्यक्ति के साथ रहती है। जब कोइ व्यक्ति किसी से कोई समझौता या अनुबंध करता है, तो यह परमशक्ति अदृश्य और मौनरुप से एक साक्षी की तरह उपस्थित रहती है।
हम इस दुनियां को धोखा दे सकते है पर इस अदृश्य शक्ति को नही। इसलिए जो व्यक्ति दूसरो को धोखा दे कर या उस का शोषण करके जो व्यक्ति सफलता या धन प्राप्त करना चाहता है उसको अन्त मे भयानक परिणामों को भुगतना पडता है। यही कारण है कि संसार के सभी संतों और महापुरुषो ने नि:स्वार्थ कार्य करने पर बल दिया है।
भय सफलता का दुशमन
सफलता के मार्ग मे पड़ने वाली सबसे बड़ी बाधा हमारा भय ही है, वही हमारा दुशमन है अत: हमे भयभीत नही होना चाहिए। इसको दूर करने के लिए सर्वोत्त्म उपाय यह है कि हम जिस वस्तु, आदमी या परिस्थिति से भयभीत होते है, उसी का बुद्धिमानी पूर्ण साहस से सामना करें। भय के कारणो पर विचार कर उन्हे दूर करें और जिस सद्कार्य को करने से भय अनुभव होता हो उसे परमात्मा पर अटूट श्रद्धा और आत्मविश्वास रखते हुए कर डालें। स्मरण रखिए आप का भय कोई दूसरा दूर नही कर सकता, वह केवल आप को सलाह दे सकता है, उसे दूर तो आप को ही करना होगा ।
जलन से बचिए
हम इस दुनियां को धोखा दे सकते है पर इस अदृश्य शक्ति को नही। इसलिए जो व्यक्ति दूसरो को धोखा दे कर या उस का शोषण करके जो व्यक्ति सफलता या धन प्राप्त करना चाहता है उसको अन्त मे भयानक परिणामों को भुगतना पडता है। यही कारण है कि संसार के सभी संतों और महापुरुषो ने नि:स्वार्थ कार्य करने पर बल दिया है।
भय सफलता का दुशमन
सफलता के मार्ग मे पड़ने वाली सबसे बड़ी बाधा हमारा भय ही है, वही हमारा दुशमन है अत: हमे भयभीत नही होना चाहिए। इसको दूर करने के लिए सर्वोत्त्म उपाय यह है कि हम जिस वस्तु, आदमी या परिस्थिति से भयभीत होते है, उसी का बुद्धिमानी पूर्ण साहस से सामना करें। भय के कारणो पर विचार कर उन्हे दूर करें और जिस सद्कार्य को करने से भय अनुभव होता हो उसे परमात्मा पर अटूट श्रद्धा और आत्मविश्वास रखते हुए कर डालें। स्मरण रखिए आप का भय कोई दूसरा दूर नही कर सकता, वह केवल आप को सलाह दे सकता है, उसे दूर तो आप को ही करना होगा ।
जलन से बचिए
ईष्या या जलन से हमारी मानसिक शान्ति भंग होती है जिस के कारण हम अपने कार्यो को पूरी योग्यता से नही कर पाते। इस का परिणाम यह होता है कि कर्म मे न सफलता मिलती है और न ही मानसिक आनंद। हमें दूसरो की उन्नति या चमक दमक को देख कर ईष्या नही करनी चाहिए। सच मे यह ईष्या हमारी कार्यकुशलता, मानसिक शान्ति और संतुलन को जला डालती है। अत: यदि हम अपने जीवन मे सफलता पाना चाहते हैं, तो ईष्या से बचना चाहिए ।
वैज्ञानिक-सी सोच
वैज्ञानिक-सी सोच
हमारे मस्तिष्क के विचारों में संसार को बदल देने की शक्ति है। विचारों की शक्ति को एकाग्र करके आप अपने आप जीवन की समस्त बाधाओं और कठिनाईयों को दूर कर वांछित सफलता प्राप्त कर सकते हैं विचारों की शक्ति से पहाड़ को भी हटाया जा सकता है। मनुष्य एक विचारशील प्राणी है, किसी भी कार्य को करने से पहले हमारे मन मे उस को करने का विचार आता है।
यह मानव के विचारों की ही शक्ति है, जो आज वह अंतरिक्षयानो के द्धारा ऐसे महान व अदभुत कार्य कर रहा है जिस की पहले कलपना ही की जा सकती थी। ध्यान रहे, एक मूर्ख और वैज्ञानिक विचारो मे भौतिक अंतर होता है, जहां एक मूर्ख के विचार तर्कहीन और बेतुके होते हैं, वही वैज्ञानिक के विचार तर्कसंगत, व्यवस्थित, तथा प्राकृतिक नियमो पर आधारित होता है। जीवन मे सफल होने के लिए एक वैज्ञानिक के तरह विचार करना अवश्यक होता है ।
17 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा प्रेरणादायक लेख|
बहुत ही सुन्दर लेख...बधाई हो बहन...
अवतार मेहेर बाबा ने कहा है-Desire for Desireleeness...... कृपया निम्नलिखित ब्लॉग पर ज़रूर पधारें....
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
सादर
चन्दर मेहेर
सच्ची और सही सोच - प्रेरक आलेख
अच्छा लेख ! बधाई हो.
लेख में वर्तनी की त्रुटियों को दूर किया जाए तो और अच्छा होगा.
शुभकामनाएँ.
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# दूसरो की उन्नति या चमक दमक को देख कर ईष्या नही करनी चाहिए। सच मे यह ईष्या हमारी कार्यकुशलता, मानसिक शान्ति और संतुलन को जला डालती है।
@ वैसे तो पूरे ही लेख में सुलझे हुए विचार ही हैं.
फिर भी लेख में से अपने मतलब का एक उद्धरण लेकर मैं गाँठ में बाँध लेता हूँ.
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बहुत अच्छे रेखा
Nice blog.
Check this cool link
http://jabhi.blogspot.com
अच्छी पोस्ट. साधुवाद.
बढिया लिखा
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है
विचार तर्कसंगत, व्यवस्थित, तथा प्राकृतिक नियमो पर आधारित होता है। जीवन मे सफल होने के लिए एक वैज्ञानिक के तरह विचार करना अवश्यक होता है ।
excellent
इस भौतिकवादी युग में अर्थ ही एक अच्छे जीवन की कुंजी है, और इसके लिए मनोदशा का सही होना नितांत अनिवार्य है परन्तु बिना सही दिशा के दशा भला अच्छा कैसे हो सकता है ?? सो आपका यह प्रेरक लेख उत्प्रेरक का काम करेगा यदि अमल किया जाये . धन्यबाद
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें
अच्छा लेख ! बधाई हो.
आपको
दशहरा पर शुभकामनाएँ ..
अच्छी पोस्ट ,विजय दशमी की शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
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