सिरसा, 16 मार्च। ब्लॉगिंग का शोक आपकी कमाई का बेहतर साधन बन सकता है। अपने इसी शोक की बदोलत कई लोग लाखों कमा रहे हं। यदि आपको यह शोक है तो आप भी डॉलर में कमाई कर सकते हैं। बस जरुरत है धैर्य और सही रणनीति की। यह कहना है सिरसा के ब्लॉगर और वायु सेना से सेवानिवृत सुनील नेहरा का। वे चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों से प्रिंट व साइबर मीडिया कार्यशाला के दौरान रुबरु हुए। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के आने से रोजगार के अनेक अवसर पैदा हुए है। ब्लॉगिंग भी उन्हीं में से एक है।
सुनील नेहरा ने कहा कि जब बैंग्लोर में 1996 में पहला साइबर कैफे खुला तभी से उन्हें कम्प्युटर में रुचि है। इसलिए वह ब्लॉगिंग की तरफ आकर्षित हुए। भारत में ब्लॉगिंग की शुरुआत के संबंध में उन्होंने बताया कि 1996 से इसकी शुरुआत हुई। परंतु 2004 के बाद इसमें तेजी देखने का मिली। उन्होंने बताया कि अमित अग्रवाल को भारत में ब्लॉगिंग का पिता माना जाता है। लेबनॉन डॉट ओ. आर. जी. नामक ब्लॉग का संचालन कर रहा यह शख्स आज 20 लाख रुपये प्रति महिने से भी अधिक कमा रहा है।
इसी प्रकार उन्होंने अमित भवानी,हर्ष अग्रवाल,जसपाल सिहं,निर्मल तथा रोहित लंगाड़े जैसे भारतीय ब्लॉगर के संबंध में भी बताया जो ब्लॉगिंग के माध्यम से आज लाखों कमा रहें हैं।
नेहरा ने कमाई के संबंध में बताया कि इसमें पैसा आपके ब्लॉग की विषय वस्तु और विजिटर पर निर्भर करता है। जितने अधिक आपके विजिटर होंगे उसी आधार पर आपको एड सेंस के विज्ञापन मिलेंगें। आपकी कमाई इन्हीं विज्ञापनों से आती है। विषय वस्तु के चुनाव के संबंध में वे बोले कि विषय आपकी रुचि का होना चाहिए। क्योंकि उस पर आप बेहतर लिख पाऐंगे। उन्होंने कहा कि ब्लॉगिंग से कमाई का कोई शॉर्टकट नहीं है। इसके लिए आपको लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
विभागाध्यक्ष तथा कार्यशाला के संचालक वीरेंद्र सिहं चौहान ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने ब्लॉग पर नियमित रुप से कुछ न कुछ लिखें।तथा जो सुविधाएं उन्हें प्रदान की गई हैं, उनका सदुपयोग कर अपनी प्रतिीभा को निखारने का प्रयास करें।इस अवसर पर प्राध्यापिका पूनम कालेरा तथा प्राध्यापक कृष्ण कुमार, सन्नी गुप्पा, सुरेंद्र कुमार, विकास सहारण तथा राममेहर भी उपस्थित थे।
सुनील नेहरा ने कहा कि जब बैंग्लोर में 1996 में पहला साइबर कैफे खुला तभी से उन्हें कम्प्युटर में रुचि है। इसलिए वह ब्लॉगिंग की तरफ आकर्षित हुए। भारत में ब्लॉगिंग की शुरुआत के संबंध में उन्होंने बताया कि 1996 से इसकी शुरुआत हुई। परंतु 2004 के बाद इसमें तेजी देखने का मिली। उन्होंने बताया कि अमित अग्रवाल को भारत में ब्लॉगिंग का पिता माना जाता है। लेबनॉन डॉट ओ. आर. जी. नामक ब्लॉग का संचालन कर रहा यह शख्स आज 20 लाख रुपये प्रति महिने से भी अधिक कमा रहा है।
इसी प्रकार उन्होंने अमित भवानी,हर्ष अग्रवाल,जसपाल सिहं,निर्मल तथा रोहित लंगाड़े जैसे भारतीय ब्लॉगर के संबंध में भी बताया जो ब्लॉगिंग के माध्यम से आज लाखों कमा रहें हैं।
नेहरा ने कमाई के संबंध में बताया कि इसमें पैसा आपके ब्लॉग की विषय वस्तु और विजिटर पर निर्भर करता है। जितने अधिक आपके विजिटर होंगे उसी आधार पर आपको एड सेंस के विज्ञापन मिलेंगें। आपकी कमाई इन्हीं विज्ञापनों से आती है। विषय वस्तु के चुनाव के संबंध में वे बोले कि विषय आपकी रुचि का होना चाहिए। क्योंकि उस पर आप बेहतर लिख पाऐंगे। उन्होंने कहा कि ब्लॉगिंग से कमाई का कोई शॉर्टकट नहीं है। इसके लिए आपको लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
विभागाध्यक्ष तथा कार्यशाला के संचालक वीरेंद्र सिहं चौहान ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने ब्लॉग पर नियमित रुप से कुछ न कुछ लिखें।तथा जो सुविधाएं उन्हें प्रदान की गई हैं, उनका सदुपयोग कर अपनी प्रतिीभा को निखारने का प्रयास करें।इस अवसर पर प्राध्यापिका पूनम कालेरा तथा प्राध्यापक कृष्ण कुमार, सन्नी गुप्पा, सुरेंद्र कुमार, विकास सहारण तथा राममेहर भी उपस्थित थे।
1 टिप्पणी:
अच्छा लिखा है रेखा. हर दिन लिखो. अशुद्धियों पर ध्यान देने की जरूरत हैं
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