न अल्लाह न ईश्वर, जो नच ले वही सिकंदर... ये है अयोध्या का हल... एक पाकिस्तानी लोक गायक, सूफी गायक, देहाती गायक को सुनिए और नाचिए... इश्क बुल्ले नू नचावे यार तो नचना पैंदा है... देखिए, आपका अल्लाह और मेरा भगवान इसी तरह के लोगों में बैठा है... कहां ढूंढते हो अयोध्या में, कहां ढूंढते हो मंदिरों-मस्जिदों में... अल्लाह-ईश्वर जो हैं, जहां हैं, जैसे भी होंगे.... शायद इसी बंदे-से लोगों में होंगे
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