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Need create wants, Wants create tension, Tension creates action And Action creates SATISFACTION

गुरुवार, 16 सितंबर 2010

Always think Positive

 
सभी की जिन्दगी में उतार चढ़ाव आते हैं। कदम-कदम पर मुश्किलें आती हैं। हम सब जानते हैं, मुश्किलों की सबसे बुरी आदत ये ही की वे बिना बुलाए आ जाती है और उससे भी बुरी हमारी आदत नेगेटीव सोचने की। कई बार छोटी सी मुसीबत या परेशानी को हम इतनी बड़ी मान लेते हैं कि परिस्थिति का सामना करने से पहले ही हम हार मान बैठते हैं। ऐसे में जिन्दगी एक बोझ सी बन जाती है और बेमकसद हो जाती है। हम अपने आप को दुनिया का सबसे परेशान और बदकिस्मत व्यक्ति मान लेते हैं। ऐसे में खुद को तो तनावग्रस्त कर ही लेते हैं साथ ही हमसे जुड़े लोगों की जिन्दगी को भी तनाव से भर देते हैं।
एक बच्चे से उसके माता पिता बहुत प्यार करते थे। जैसे की सभी के माता-पिता करते हैं लेकिन उसकी कहानी कुछ अलग थी। उसके पेरेन्टस का प्यार सामान्य नहीं था। असामान्य था क्योंकि वो चाहते थे कि उनके बच्चे को इस बुरी दुनिया का सामना ना करना पड़े। वो चाहते थे कि वह बड़ा होकर बहुत बड़ी शख्सियत बने।इसीलिए उन्होंने अपने बच्चे को बाहरी माहौल से दूर रखा। उसे बाहर के बच्चों के साथ खेलने नहीं देते। बाहर के लोगों से बात नहीं करने देते। किसी रिश्तेदार से उसे मिलने भी नहीं देते। स्कुल भेजने की बजाय घर पर ही उसकी पढ़ाई की व्यवस्था कर दी। अब उस बच्चे की उम्र बड़ी तो माता-पिता दोनों ने सोचा कि अब हमारा बेटा अठारह साल का हो गया है। अब हमारा सपना पूरा होने का समय आ गया है। उन्होंने उसका एडमिशन एक बड़े मेडिकल कालेज में करवा दिया।
अब वह पहली बार कालेज गया उसने अपने आप को बाहरी माहौल में बड़ा असहज महसुस किया। वह दो दिनों में ही बाहरी दुनिया और उसके लोगों से परेशान हो गया। नतीजा ये हुआ कि उसने अपने माता-पिता से कहा कि वो उसे आकर यहां से ले जाए वरना वह होस्टल की बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दे देगा। माता-पिता घबरा गए और उसे घर ले आए।दरअसल उस लड़के को बाहर की दुनिया और आजादी रास नहीं आ रही थी क्योंकि वह तो कैद में रहने का आदी हो चुका था। उसे अपने फैसले खुद लेने की आदत नहीं थी। वह बाहरी दुनिया का तनाव बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। उसके माता- पिता को आज अपनी भूल का एहसास हुआ लेकिन अब वक्त गुजर चुका था।

अगर हमारा नजरिया नकारात्मक होगा तो हमारी जिन्दगी सिमाओं में कैद हो जाएगी। हमारे दोस्तों की तादाद कम होगी। हम जिन्दगी का कम आनंद उठा पाएंगे। हो सकता है सकारात्मक नजरिया विकसित करने के लिए हमें थोड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़े और बदलाव के कारण अनिश्चितता महसूस हो लेकिन ये निश्चित है कि जब हम हर परिस्थिति को सकारात्मक ढंग से लेने के आदी हो जाएंगे तो एक दिन हम सफल जरुर होंगे।

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